Posts

Showing posts with the label चेतना का स्वरूप

चार्वाक दर्शन में चेतना का स्वरूप

Image
भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer चार्वाक दर्शन में चेतना का स्वरूप चार्वाक दर्शन में चेतना का स्वरूप उपोत्पाद के रूप में चेतना      चेतन शरीर ही उपोत्पाद है अर्थात् पृथ्वी , जल , तेज तथा वायु को जगत के चार तत्त्वों के रूप में स्वीकार करते हैं। बाह्य जगत , इन्द्रियाँ तथा भौतिक शरीर इन्हीं चार मूलभूतों से उत्पन्न होते हैं। उनके अनुसार चैतन्य शरीर का ही गुण है। शरीर से बाहर या अलग उसकी कोई सत्ता नहीं है। चेतन शरीर के अलावा और किसी आत्मा को प्रत्यक्ष द्वारा नहीं जाना जा सकता। इसलिए चेतन शरीर को ही आत्मा कहना चाहिए। पंचभूतों के संगठन को शरीर , इन्द्रिय अथवा वस्तु का नाम दिया गया है।  इन्हीं भूतों के संगठन से चैतन्य पैदा होता है , परन्तु जड़ पदार्थों से जीव अथवा चैतन्य कैसे उत्पन्न हो सकता है। जैसे अन्न के सड़ने से मादक शक्ति उत्पन्न होती है तथा जिस प्रकार पान , सुपारी तथा चूने के मिलने से लाल रंग उत्पन्न हो जाता है , उसी प्रकार इन भूतों के संगठन से विज्ञान अथवा चैतन्य उत्पन्न होता है।