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संविधानवाद ( Constitutionalism )

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संविधानवाद ( Constitutionalism )  संविधानवाद ( Constitutionalism )     संविधानवाद एक आधुनिक विचारधारा है जो विधि द्वारा नियंत्रित राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना पर बल देती है। पीटर एच मार्क के अनुसार, ‘संविधानवाद का तात्पर्य सुव्यवस्थित और संगठित राजनीतिक शक्ति को नियन्त्रण में रखना है’। कार्ल जे फैडरिक के अनुसार, ‘शक्तियों का विभाजन सभ्य सरकार का आधार है, यही संविधानवाद है’। कॉरी और अब्राहम के अनुसार, ‘स्थापित संविधान के निर्देशों के अनुरूप शासन को संविधानवाद कहते है’। जे एस राउसेक के अनुसार, ‘धारणा के रूप में संविधानवाद का अर्थ है कि यह अनिवार्य रूप से सीमित सरकार तथा शासित तथा शासन के ऊपर नियंत्रण की एक व्यवस्था है’। के सी व्हीयर के अनुसार, ‘संवैधानिक शासक का अर्थ किसी शासन के नियमों के अनुसार शासन चलाने से अधिक कुछ नहीं है। इस प्रकार इस सभी परिभाषाओं से स्पष्ट है कि “संविधानवाद सीमित शासन का प्रतीक है”। संविधानवाद की तीन प्रमुख अवधारनाएं है – पाश्चात्य अवधारणा – यह अवधारणा लोकतन्त्र में पूंजीवाद का समर्थन करती है। इसे उदारवादी लोकतंत्रितक अवधारणा भिक कहते है। साम्यवादी अवधारणा