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योग दर्शन में चित्तभूमियाँ

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer योग दर्शन में चित्तभूमियाँ योग दर्शन में चित्तभूमियाँ     योग दर्शन चित्तभूमि अर्थात् मानसिक अवस्था के भिन्न - भिन्न रूपों में विश्वास करता है। व्यास ने चित्त की पाँच अवस्थाओं अर्थात् पाँच भूमियों का उल्लेख किया है क्षिप्त चित्त की इस अवस्था में रजो गुण की प्रधानता होती है। इसलिए इस अवस्था में चित्त में अत्यधिक सक्रियता तथा चंचलता रहती है , परिणामस्वरूप ध्यान किसी एक वस्तु पर टिक नहीं पाता है। मूढ़ चित्त की इस अवस्था में चित्त में तमो गुण की प्रधानता होती है , परिणामस्वरूप चित्त निद्रा , आलस्य एवं निष्क्रियता से ग्रसित रहता है। विक्षिप्त यह क्षिप्त तथा मूढ़ के बीच की अवस्था है। इस अवस्था में चित्त का ध्यान किसी वस्तु पर तो जाता है , किन्तु वहाँ अधिक देर तक टिकता नहीं है। एकाग्र चित्त की इस अवस्था में सत् गुण की प्रधानता होने के कारण चित्त किसी वस्तु पर टिकने लगता है। चित्त की यह अ