पाठ्यक्रम
भारतीय दर्शन |
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विषयः दर्शनशास्त्र पाठ्यक्रम (भारतीय दर्शन)
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नेटब्यूरो
इकाई-1
पारम्परिक भारतीय ज्ञान मीमांसा और तत्व मीमांसा
- वैदिक एवं औपनिषदिक :- ऋत-विश्व व्यवस्था, दैवी एवं मानवीय
परिक्षेत्र , यज्ञ (बलि) संस्थान की केंद्रीयभूतता, सृष्टि सिद्धान्त, आत्मा, जाग्रत,
स्वप्न, सुषुप्ति तथा तुरीय, ब्रह्म।
- चार्वाक :- प्रत्यक्षमात्र प्रमाण, अनुमान एवं शब्द की समीक्षा, उपोत्पाद के रूप में चेतना।
- जैनदर्शन :- सत्ता (Satta) की अवधारणा- सत्, द्रव्य,
गुण, पर्याय, जीव,
अजीव, अनेकांतवाद, स्याद्वाद
तथा नयवाद, ज्ञानमीमांसा।
- बौद्धधर्म :- चार आर्य सत्य, अष्टांगिक मार्ग, ब्राह्मण एवं भ्रमण परम्परा में भेद, प्रतीत्य
समुत्पाद, क्षणभंगवाद, अनात्मवाद,
बौद्धदर्शन के सम्प्रदाय, वैभाषिक, सौत्रांतिक,
योगाचार, माध्यमिक तथा तिब्बती बौद्धदर्शन।
- न्याय :- प्रमा तथा अप्रमा, प्रमाण के सिद्धान्त- प्रत्यक्ष
अनुमान, उपमान एवं शब्द, हेत्वाभास, ईश्वर की अवधारणा, बौद्ध
और न्याय की प्रमाण व्यवस्था तथा प्रमाण संप्लव के विषय में विवाद, अन्यथाख्याति।
- वैशेषिक :- पदार्थ की अवधारणा तथा इसके प्रकार, असत्कार्यवाद, कारण के प्रकार,
समवाय, असमवायी तथा निमित्त कारण, परमाणुकारणवाद।
- सांख्य :- सत्कार्यवाद, प्रकृति और उसके उद्भूत, प्रकृति के
अस्तित्व की सिद्धि हेतु युक्तियाँ, पुरुष का स्वरूप,
पुरुष के अस्तित्व और बहुलता के लिए युक्तियाँ, पुरुष और प्रकृति के बीच संबंध, निरीश्वरवाद।
- योग :- पंतजलि द्वारा प्रतिपादित प्रमाण का सिद्धान्त, चित्त की अवधारणा और
चित्तवृत्तियाँ, चित्तभूमियाँ, योग में
ईश्वर की भूमिका।
- पूर्व मीमांसा :- प्रामाण्यवाद- स्वतः प्रामाण्यवाद तथा परतः प्रामाण्यवाद, श्रुति तथा इसका महत्व,
श्रुति वाक्यों का वर्गीकरण, विधि, निषेध और अर्थवाद, धर्म, भावना,
शब्द-नित्यवाद, जाति, शक्तिवाद;
मीमांसा के कुमारिल एवं प्रभाकर सम्प्रदाय तथा उनके प्रमुख मतभेद,
त्रिपुटी संबित, ज्ञातता, अभाव और अनुपलब्धि, अन्विताभिधानवाद, अभिहितान्वयवाद, भ्रम के सिद्धान्त- अख्याति,
विपरीत ख्याति; निरीश्वरवाद।
- वेदान्त :- अद्वैत- ब्रह्म, ब्रह्म और आत्मा के बीच सम्बन्ध,
सत्ता त्रैविध्य, अध्यास, माया, जीव, विवर्तवाद, अनिवर्चनीय ख्याति, विशिष्टाद्वैत- सगुण ब्रह्म, माया
का निराकरण, अपृथकसिद्धि, परिणामवाद,
जीव, भक्ति एवं प्रपत्ति, बह्म परिणामवाद, सख्याति, द्वैत- निर्गुण ब्रह्म तथा
माया का निराकरण, भेद तथा साक्षी, भक्ति,
द्वैताद्वैत- ज्ञानस्वरूप की अवधारणा, निर्जीव के प्रकार
शुद्धाद्वैत अविकृत परिणामवाद की अवधारणा
इकाई- III
भारतीय नीतिशास्त्र
- पुरुषार्थ, श्रेयस तथा प्रेयस की अवधारणा
- वर्णाश्रम, धर्म, साधारण धर्म
- ऋण तथा यज्ञ, कर्त्तव्य की अवधारणा
- कर्मयोग, स्थितप्रज्ञ, स्वधर्म, लोकसंग्रह
- अपूर्व तथा अदृष्ट
- साध्य साधन, इतिकर्त्तव्यता
- कर्म के नियम, नीतिपरक निहितार्थ
- ऋत और सत्य
- योग-क्षेम
- अष्टांग योग
- जैनवाद- संवर-निर्जरा, त्रि-रत्न, पंच व्रत
- बौद्धवाद- उपाय कौशल, ब्रह्मविहार- मैत्री, करुणा, मुदिता, उपेक्षा, बोधिसत्व
- चार्वाक का सुखवाद
इकाई - V
समकालीन भारतीय दर्शन
- विवेकानन्द :- व्यावहारिक वेदान्त, सार्वभौमिक धर्म, धार्मिक अनुभव, धार्मिक अनुष्ठान
- श्री अरविन्द :- विकास, मन एवं अतिमनस, समग्र योग
- इकबाल :- आत्म, ईश्वर, मानव तथा अतिमानव, बुद्धि तथा अन्तः प्रज्ञा
- टैगोर :- मानवधर्म, शिक्षा सम्बन्धी विचार, राष्ट्रवाद
की अवधारणा
- के सी भट्टाचार्य :- विचारों में स्वराज, दर्शन की अवधारणा, स्वतन्त्रता के रूप में ज्ञाता, मायावाद
- राधाकृष्णन :- बुद्धि तथा अन्तः प्रज्ञा, जीवन का आदर्शवादी दृष्टिकोण,
सार्वभौमिक धर्म की संकल्पना, जीवन के प्रति
हिन्दू-दृष्टिकोण
- जे. कृष्णमूर्ति :- विचार प्रत्यय, ज्ञात से स्वतन्त्रता, आत्म का विश्लेषण, विकल्प विहीन जागरूकता
- गांधी :- सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, स्वराज, आधुनिक सभ्यता की समीक्षा
- अम्बेडकर :- जाति का उच्छेदन, हिन्दूवाद का दर्शन, नवबुद्धवाद
- डी डी उपाध्याय :- समग्र मानववाद, अद्वैत वैदान्त, पुरुषार्थ
- नारायण गुरु :- आध्यात्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक समानता, एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर
- तिरुवल्लूर :- तिरुक्कुरल
- जोतिबा फूले :- जाति व्यवस्था का महत्वपूर्ण बोध
- एम एन राय :- उग्र मानवतावाद, भौतिकवाद
- मौलाना आजाद : - मानवतावाद
इकाई- VII
सामाजिक तथा राजनीतिक दर्शन- भारतीय
- महाभारत :- दण्ड नीति, आधार, राजधर्म, कानून और प्रशासन, राजा युधिष्ठर को नारद के प्रश्न
- कौटिल्य : संप्रभुता, राज्य शिल्प के सात स्तम्भ, राज्य,
समाज, सामाजिक जीवन, राज्य
प्रशासन, राज्य की अर्थव्यस्था, विधि
और न्याय, आन्तरिक सुरक्षा, कल्याण और
विदेश नीति
- कामन्दकीय :- सामाजिक व्यवस्था और राज्य के तत्व
- संवैधानिक :- नैतिकता, धर्म निरपेक्षता और मौलिक अधिकार, संविधानवाद, पूर्ण क्रांतिवाद, आतंकवाद, स्वदेशी,
सत्याग्रह, सर्वोदय, सामाजिक
लोकतन्त्र, राज्य का समाजवाद, सकारात्मक
क्रिया, सामाजिक न्याय
- सामाजिक संस्थाए :- परिवार, विवाह, सम्पत्ति
शिक्षा और धर्म उपनिवेशवाद
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