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Sunday, May 29, 2022

मौलाना आजाद का मानवतावाद

मौलाना आजाद का मानवतावाद       

मौलाना आजाद का मानवतावाद       

    मौलाना आजाद का विचार मानवतावाद इस्लाम से प्रेतित था उन्होंने कहा था कि “इस्लाम का आव्हान मानवतावाद है”। उनके अनुसार, सारी मानव जाति को खुदा ने बनाया है और मानव की भलाई के लिए विभिन्न कालों में पृथ्वी के हर कोने में अनेक पैगम्बरों को भेजा है । इसलिए मानवता किसी भी धार्मिक विभाजन से परे है ।

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मौलाना आजाद ( Abul Kalam Azad )

मौलाना आजाद ( Abul Kalam Azad ) 

मौलाना आजाद ( Abul Kalam Azad ) 

    मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन (11 नवंबर, 1888 - 22 फरवरी, 1958) एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे। वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत की आजादी के बाद वे एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक पद पर रहे। वे महात्मा गांधी के सिद्धांतो का समर्थन करते थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1923 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के प्रेसीडेंट बने। वे 1940 और 1945 के बीच कांग्रेस के प्रेसीडेंट रहे। आजादी के बाद वे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की -

Ø  संगीत नाटक अकादमी (1953)

Ø  साहित्य अकादमी (1954)

Ø  ललितकला अकादमी (1954)

मौलाना आजाद ( Abul Kalam Azad ) के दार्शनिक विचार 

मौलाना आजाद का मानवतावाद


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