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योग एवं सांख्य दर्शन में तुलना

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer योग एवं सांख्य दर्शन में तुलना योग एवं सांख्य दर्शन में तुलना      भारतीय दार्शनिक परम्परा में सांख्य और योग दर्शन को समान तन्त्र की संज्ञा दी गई है , क्योंकि कई महत्त्वपूर्ण पक्षों पर इन दोनों में परस्पर सहमति है। इनमें परस्पर पूरकता का भाव विद्यमान है , किन्तु कुछ पक्षों पर इनमें अन्तर भी विद्यमान है। इस समानता तथा विषमता को निम्नलिखित बिन्दुओं में देख सकते हैं योग एवं सांख्य दर्शन में समानता योग एवं सांख्य दर्शन में निम्नलिखित समानताएँ हैं - ●     दोनों द्वैतवादी दर्शन हैं , क्योंकि ये प्रकृति तथा पुरुष को दो मूल तत्त्वों के रूप में स्वीकार करते हैं। ●     दोनों की मान्यता है कि यह समस्त जगत् प्रकृति से उत्पन्न हुआ है , इसलिए सत् है। ●     दोनों की मान्यता है कि पुरुष का प्रकृति से अपनी भिन्नता का ज्ञान ही विवेक ज्ञान है , जिसकी प्राप्ति ही कैवल्य है। इस कैवल्य की अवस्था में समस्त दुःखों का अन्त हो जाता है। ●     दोनों ही कारण -