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रामानुज का सत्ख्यातिवाद

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer रामानुज का सत्ख्यातिवाद रामानुज का सत्ख्यातिवाद सत्ख्यातिवाद      भ्रम के इस सिद्धान्त का प्रतिपादन विशिष्टाद्वैत के प्रतिपादक रामानुज द्वारा किया गया। इनके अनुसार भ्रम का विषय सत् है , क्योंकि ब्रह्म सत् है। जितने भी भ्रम के विषय हैं वे समस्त ब्रह्म ही हैं , अत : सत् है। रामानुज के अनुसार ' त्रिवृत्तिकरण ' के कारण भ्रम पैदा होता है। त्रिवृत्तिकरण से तात्पर्य है कि संसार की समस्त वस्तुएँ सत् , रज् तथा तम् गुणों से युक्त हैं , इसलिए प्रत्येक वस्तु में प्रत्येक अन्य वस्तु के न्यूनाधिक गुण विद्यमान रहते हैं : जैसे - रस्सी के स्थान पर साँप का भ्रम इसलिए उत्पन्न होता है , क्योंकि रस्सी में सर्प के तत्त्व विद्यमान हैं ; जैसे - लम्बाई , टेढ़ा - मेढ़ा होना तथा गोल होना आदि। ---------------