Posts

Showing posts with the label सत्त की अवधारणा

जैन दर्शन में सत्त की अवधारणा

Image
भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer जैन दर्शन में सत्त की अवधारणा जैन दर्शन में सत्त की अवधारणा      जैन धर्म के अनुसार प्रत्येक पदार्थ में सत् और असत् दोनों ही अंग विद्यमान रहते हैं। एक वस्तु अन्य वस्तु में रूपान्तरित हो सकती है , रूपान्तरित वस्तु अन्य वस्तु में बदल सकती है। जैन दर्शन उत्पाद , नाश और नित्यता से युक्त पदार्थ को सत् मानता है , जो पदार्थ या वस्तु ऐसी नहीं है , वह उसे असत् मानता है। ------------