Posts

Showing posts with the label विवाह

विवाह ( Vivah ) का स्वरूप

Image
विवाह ( Vivah ) का स्वरूप  विवाह ( Vivah ) का स्वरूप      वासुदेवशरण अग्रवाल के अनुसार, “स्त्री और पुरुष दोनों नदी के दो तटबन्द है और दोनों के बीच विवाह की जीवनधारा प्रवाहित होती है”। मेधतिथि के अनुसार, “विवाह कन्या को स्त्री बनाने के लिए एक निश्चित क्रम से की जाने वाली अनेक विधियों से सम्पन्न होने वाला पाणिग्रहण संस्कार है”। डॉ के एम कपाड़िया ने हिन्दू विवाह के तीन उद्देश्य – धर्म, प्रजा एवं रति कहा है। हिन्दू विवाह के अनेक प्रकार मनु और यज्ञवल्क्य स्मृतियों में मिलता है। मनु महाराज ने विवाह के 8 प्रकार कहे है जिनका वर्णन निम्नलिखित है – ब्रह्म विवाह – इस विवाह में कन्या का पिता योग्य एवं चरित्रवान युवक को खोजकर धर्मिक संस्कार के द्वारा अपनी कन्या का को वस्तु तथा अलंकारों से सुसज्जित कर उसे वर को दान देता है। यह सभी प्रकार के विवाहों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। दैव विवाह – इस विवाह में कन्या का पिता एक यज्ञ की व्यवस्था करता है और इस यज्ञ के लिए योग्य विद्वानों और पुरोहितों को आमंत्रित करता है। जो भी आमंत्रित युवक यज्ञ को भली-भांति संचालित कर लेता है वह कन्या को वर लेता है। आर्ष व