Posts

Showing posts with the label प्रमाण व्यवस्था

बौद्ध और न्याय की प्रमाण व्यवस्था

Image
भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer बौद्ध और न्याय की प्रमाण व्यवस्था बौद्ध और न्याय की प्रमाण व्यवस्था ●     भारतीय दर्शन में प्रमाण उसे कहते हैं , जो सत्य ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करे। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि जिसके द्वारा यथार्थ ज्ञान प्राप्त हो , उसे प्रमाण कहते हैं। प्रमाण व्यवस्था का अर्थ है प्रत्येक प्रमाण का अपना एक दायरा / क्षेत्राधिकार होता है , जो अन्य प्रमाण के दायरे / क्षेत्राधिकार से अलग है। बौद्ध दर्शन भी प्रमाण व्यवस्था के अन्तर्गत यह मानता है कि प्रत्येक प्रमाण का क्षेत्राधिकार अलग है , जबकि प्रमाण संप्लव का अर्थ है विभिन्न प्रमाण एक - दूसरे से व्याप्त हो सकते हैं। ●     न्याय दर्शन के अनुसार यद्यपि सभी ज्ञान अनुभूति / अनुभव पर आधारित नहीं होते हैं फिर भी अधिकांश ज्ञान का आधार अनुभव ही है। विवाद का बिन्दु यह है कि विभिन्न दर्शनों में प्रमाण के अलग - अलग प्रकार बताए गए हैं , जैसे कि बौद्ध दर्शन में प्रमाण के दो ही प्रकार स्वीकार किए गए हैं - प्रत्यक्ष तथ