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सामाजिक न्याय ( Social justice ) |
सामाजिक न्याय ( Social justice )
सामाजिक न्याय से तात्पर्य सामाजिक समानता से है। सामाजिक
न्याय का सिद्धान्त यह माँग करता है कि सामाजिक जीवन में सभी मनुष्यों की गरिमा को
स्वीकार किया जाए। लिंग, वर्ण, जाति, धर्म व स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार का
भेदभाव न किया जाए साथ में प्रत्येक व्यक्ति को आत्मविकास के सभी अवसर सुलभ कराए
जाए। सामाजिक न्याय के अन्तर्गत आर्थिक और राजनीतिक दोनों प्रकार के न्याय को
सम्मिलित किया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 38 में सामाजिक न्याय के विषय
में कहा गया है कि “एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जिसमें सामाजिक, आर्थिक तथा
राजनीतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओ को अनुप्राणित करें”। डॉ भीमराव
अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक ‘जाति-प्रथा का उन्मूलन’ और ‘शूद्र कौन थे’ में सामाजिक
न्याय का समर्थन किया है।