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चार्वाक दर्शन में जगत का स्वरूप

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer चार्वाक दर्शन में जगत का स्वरूप चार्वाक दर्शन में जगत का स्वरूप       चार्वाक के मतानुसार , जगत वास्तविक है अर्थात् सत् है , जिसकी उत्पत्ति चार प्रकार के जड़ तत्त्वों - पृथ्वी , अग्नि , जल तथा वायु के संयोग से हुई है। चार्वाक जगत की उत्पत्ति के मूल में आकाश तत्त्व की सत्ता को स्वीकार नहीं करता , क्योंकि आकाश के परमाणु नहीं होने के कारण इसका प्रत्यक्ष नहीं होता है। चार्वाक की मान्यता है कि आकाश का ज्ञान अनुमान पर आधारित होने के कारण यह एक प्रकार का अयथार्थ ज्ञान है। उल्लेखनीय है कि चार्वाक प्रत्यक्ष को ही एकमात्र यथार्थ ज्ञान की श्रेणी में रखते हैं।  चार्वाक की मान्यता है कि चार प्रकार के जड़ तत्त्वों से न केवल सजीव पदार्थों की उत्पत्ति होती है , बल्कि समस्त जड़ पदार्थों तथा उनके गुण , जड़ तत्त्वों में निहित स्वभाव के कारण स्वत : उत्पन्न हो जाते हैं।       चार्वाक की मान्यता है कि इस जगत की उत्पत्ति के पीछे कोई प्रयोजन नहीं है , यह जगत जड़ तत्त्वो