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चार्वाकों द्वारा अन्य प्रमाणों का खण्डन

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer चार्वाकों द्वारा अन्य प्रमाणों का खण्डन चार्वाक  द्वारा अन्य प्रमाणों का खण्डन चार्वाक सर्वप्रथम अनुमान का खण्डन करता है। चार्वाक के अनुसार , अनुमान को यथार्थ की प्राप्ति के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता , क्योंकि अनुमान निराधार है। अनुमान का आधार है व्याप्ति और व्याप्ति की  स्थापना हो नहीं सकती , क्योंकि हम कभी भी भूत और भविष्य की बात तो दूर की है , वर्तमान के भी सभी हेतु और साध्य का प्रत्यक्ष नहीं कर सकते , तो फिर कैसे कह सकते हैं कि जहाँ - जहाँ हेतु है , वहाँ - वहाँ साध्य है।  किसी एक ही स्थान पर हेतु और साध्य के बीच अनिवार्य सम्बन्ध की स्थापना करनी है , तो हमें वर्तमान के सभी हेतुओं और साध्यों का प्रत्यक्ष करना होगा , जो सम्भव नहीं है। अत : व्याप्ति की स्थापना नहीं हो सकती। फलतः अनुमान से यथार्थ ज्ञान सम्भव नहीं है। चार्वाक उपमान प्रमाण को एक स्वतन्त्र प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं करता , क्योंकि उसकी मान्यता है कि सादृश्यता का प्रत्यक्ष