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जे कृष्णमूर्ति का विकल्पहीन जागरूकता सिद्धान्त |
जे कृष्णमूर्ति का विकल्पहीन जागरूकता सिद्धान्त
कृष्णमूर्ति का मत है कि अज्ञात का पता लगाने का श्रेष्ठ तरीका
यह है कि हम मौन हो जाएँ। जब हम कुछ पाने की चाह में खुद को भविष्य में प्रक्षेपित
न करें,
जब मन वास्तव में, शान्त होगा, तब अज्ञात अस्तित्व में आता है। उसे खोजना नहीं पड़ता, खोजना मूर्खता है। खोजने से कभी मिलता भी नहीं। आज तक कभी किसी को मिला भी
नहीं। अतः इसके लिए शान्त होकर भीतर ही उतरना होगा, तब
अज्ञात अस्तित्ववान होगा। हम किसी अनजाने को आमन्त्रित नहीं करते, बल्कि ज्ञात को आमन्त्रित करते हैं। अविज्ञेय को, अज्ञात
को जानने के लिए मन को भटकने की आवश्यकता नहीं है। वह जो भी है, उसके साथ होना होता है। ध्यान-धारणा इत्यादि से मन निश्चल नहीं हो पाता,
इसके लिए अपने में उत्पन्न विनम्र को समझना होगा, तभी आनन्द प्रकट हो पाएगा और वह अज्ञात रहस्यमय ढंग से प्रकट हो पाएगा।