न्याय दर्शन में हेत्वाभास
भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer न्याय दर्शन में हेत्वाभास न्याय दर्शन में हेत्वाभास न्याय दर्शन में अनुमान को यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति के साधन के रूप में स्वीकार किया गया है। इसके अन्तर्गत हेतु का प्रत्यक्ष करके अनिवार्य , सार्वभौम तथा शर्तरहित सम्बन्ध के आधार पर साध्य का ज्ञान प्राप्त कर लिया जाता है। किन्तु कभी - कभी जब दुष्ट हेतु के कारण अनुमान में जो दोष पैदा हो जाते हैं , तो अनुमान के दोष को ' हेत्वाभास ' कहते हैं। हेत्वाभास का अर्थ होता है कि वस्तु देखने में तो हेतु के समान है , परन्तु वास्तव में हेतु नहीं है। भारतीय दर्शन में अनुमान का सम्बन्ध वास्तविकता से है , क्योंकि इसके मूल में प्रत्यक्ष होता है अत : यहाँ अनुमान में जो दोष पाया जाता है , वह भी वास्तविक है। नैयायिकों ने दुष्ट हेतु के कारण अनुमान में दोष दिखाने के लिए तर्क की जो विधि अपनाई है , वह तो सही है , किन्तु तथ्य सही नहीं है। परिणामस्वरूप अनुमान में जो दोष उत्पन्न होते हैं , वे वास्तविक हैं