Posts

Showing posts with the label ज्ञान के प्रकार

जैन दर्शन में ज्ञान के प्रकार

Image
भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer जैन दर्शन में ज्ञान के प्रकार जैन दर्शन में ज्ञान के प्रकार जैन दर्शन में ज्ञान दो प्रकार का होता है - परोक्ष ज्ञान तथा अपरोक्ष ज्ञान। परोक्ष ज्ञान जो ज्ञान साधारणतया अपरोक्ष माना जाता है , वह केवल अपेक्षाकृत अपरोक्ष है। इन्द्रियों की अपेक्षा के बगैर स्वत : प्राप्त ज्ञान परोक्ष ज्ञान कहलाता है। इस प्रकार के ज्ञान में आत्मा का पदार्थ से साक्षात् सम्बन्ध होता है। परोक्ष ज्ञान के प्रकार सिद्ध सेन दिवाकर के अनुसार परोक्ष ज्ञान के प्रकार निम्नलिखित हैं - ●     स्मृतिज्ञान जिसे पहले कभी सुना , देखा या अनुभव किया गया हो , ऐसे विषय का यथार्थ स्मरण स्मृतिज्ञान कहलाता है। ●     प्रत्यभिज्ञा जब मनुष्य किसी वस्तु को देखता है , तो उसे सादृश्यता का बोध होता है और वह उस वस्तु को पहचान लेता है , तब ऐसा ज्ञान प्रत्यभिज्ञा ज्ञान कहलाता है। प्रत्यभिज्ञा का अर्थ होता है - पहले से जाना पहचाना। ●     तर्कज्ञान तर्क के आधार पर अपनी