Showing posts with label समग्र योग. Show all posts
Showing posts with label समग्र योग. Show all posts

Monday, May 16, 2022

श्री अरविन्द का समग्र योग

श्री अरविन्द का समग्र योग 

श्री अरविन्द का समग्र योग 

    श्री अरविन्द के अनुसार, मानस से अतिमानस का विकास योग के द्वारा ही सम्भव है। मानस से अतिमानस तक पहुँचने का उद्योग ही पूर्ण योग या समग्र योग कहलाता है। विकास की इस प्रक्रिया को सम्पन्न करने हेतु त्रिस्तरीय विधि या त्रिस्तरीय रूपांतरणों का प्रयोग किया जाता है – चैत्य रूपांतरण (आत्मिकता की प्रक्रिया), आध्यात्मिक रूपांतरण (आध्यात्मिकता की प्रक्रिया) तथा अतिमानसिक रूपांतरण (अतिमानसिक प्रक्रिया)। श्री अरविन्द के अनुसार, ये तीनों प्रक्रिया आन्तरिक है जिससे केवल आन्तरिक विकास है। अतः श्री अरविन्द का पूर्ण योग ‘आन्तरिक योग’ भी कहलाता है। श्री अरविन्द के अनुसार, मनुष्य का मानस से अतिमानस बन जाना ही पृथ्वी पर दिव्य जीवन को स्थापित करने का सोपान है। दिव्य जीवन वही होगा जहाँ सभी मानव ज्ञान पुरुष होंगें।

---------------

विश्व के लोगों को चार्वाक दर्शन का ज्ञान क्यों जरूरी है ?

विश्व के लोगों को चार्वाक दर्शन का ज्ञान क्यों जरूरी है ? चार्वाक दर्शन की एक बहुत प्रसिद्ध लोकोक्ति है – “यावज्जजीवेत सुखं जीवेत ऋणं कृत्...