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मीमांसा दर्शन का ज्ञान सिद्धान्त

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer मीमांसा दर्शन का ज्ञान सिद्धान्त     मीमांसा दर्शन में ज्ञान सिद्धान्त आत्मा से सम्बन्धित है। इन दार्शनिकों की मान्यता है कि आत्मा अनेक है तथा यह नित्य एवं विभुद्रव्य है। मीमांसा दर्शन में ज्ञान के सम्बन्ध में मुख्यत : दो सिद्धान्त प्रचलित हैं - त्रिपुटि प्रत्यक्षवाद तथा ज्ञाततावाद। जिनका प्रतिपादन क्रमश : प्रभाकर तथा कुमारिल भट्ट द्वारा किया गया। त्रिपुटि - संवित ( प्रभाकर )    वस्तुत : तीन ( ज्ञाता , ज्ञान एवं ज्ञेय ) का समूह ' त्रिपुटि ' कहलाता है , जबकि संवित का अर्थ चेतना या समझ है। प्रभाकर के अनुसार ज्ञान के तीन आयाम हैं - ज्ञाता , ज्ञेय तथा ज्ञान। प्रत्येक ज्ञान की अभिव्यक्ति में इस त्रिपुटि का प्रत्यक्ष होता है , इसीलिए प्रभाकर का ज्ञान विषयक मत ' त्रिपुटि प्रत्यक्षवाद ' कहलाता है।     प्रभाकर के अनुसार ज्ञान स्वप्रकाश है , उसे अपनी अभिव्यक्ति के लिए किसी अन्य ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। अत : स्पष्