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श्री अरविन्द का मन एवं अतिमनस विचार |
श्री अरविन्द का मन एवं अतिमनस विचार
श्री अरविन्द के अनुसार, विकास की प्रक्रिया जड़ तत्त्व (Matter), प्राण तत्त्व (Life) तथा मन (Psyche) से होती हुई मानस (Mind) के स्तर तक पहुँचती है। यह
मानस अपने आप में पहले तीन स्तरों को समेटे हुए है। इसके बाद मानस से अतिमानस तक
का विकास होता है। मानस से अतिमानस तक पहुँचने का क्रमिक विकास स्तर – उच्चतर
मानस, प्रदीप्त मानस, अन्तर्दृष्टि तथा व्यापक दृष्टि है।