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अनुमान में व्याप्तिग्रहोपाय

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer अनुमान में व्याप्तिग्रहोपाय अनुमान में व्याप्तिग्रहोपाय     न्याय दर्शन में एक विशिष्ट पद्धति से व्याप्ति ज्ञान की सम्भावना स्वीकार की जाती है। इस पद्धति में निम्नलिखित सोपान हैं — ●     अन्वय विधि , ●     व्यतिरेक विधि , ●     अन्वय एवं व्यतिरेक की संयुक्त विधि , ●     व्यभिचाराग्रह , ●     उपाधिनिरास , ●     तर्क एवं ●     सामान्य लक्षण प्रत्यक्षा इनकी चर्चा इस प्रकार है - अन्वय विधि   न्याय दर्शन के अनुसार व्याप्ति ज्ञान का मुख्य साधन अतीत में दो पदार्थों का बार - बार एक साथ अनुभव किया जाना है जिसका कभी भी व्यभिचार न हो ; जैसे - जब रसोईघर आदि स्थानों में धुएँ के साथ आग का प्रत्यक्ष बिना किसी अपवाद के अनेक बार होता है , तब हमारे मन में यह धारणा बन जाती है कि धुएँ एवं आग में सहचर सम्बन्ध है। यह प्रक्रिया अन्वय विधि है। व्यतिरेक विधि   न्याय दर्शन के अनुसार व्याप्ति निश्चय के लिए अन्वय विधि के साथ व्यतिरेक विधि भी उपयोगी है। स