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वैशेषिक दर्शन का कारणता सिद्धान्त

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer वैशेषिक दर्शन का कारणता सिद्धान्त  वैशेषिक दर्शन का कारणता सिद्धान्त        कार्य के नियत रूप में पूर्ववर्ती को कारण कहा जाता है। स्पष्ट है कि कार्य के पहले कारण को होना ही चाहिए , किन्तु कारण के अतिरिक्त कार्य से पूर्व अन्य भी अनेक पदार्थ रह सकते हैं। उदाहरण के लिए घट बनाने से पूर्व घट बनाने की मिट्टी बैलगाड़ी में भी आ सकती है और गधे पर भी। किन्तु ये दोनों ही घड़े के कारण नहीं माने जाएंगे , क्योंकि वे घट के पूर्व नियत रूप से नहीं रहते। कारण के प्रकार सामान्यतया किसी कार्य को करने के दो कारण होते हैं - उपादान कारण और निमित्त कारण जैसे — कुम्हार मिट्टी से घड़ा बनाता है। यह कुम्हार निमित्त कारण तथा मिट्टी ( सामग्री ) उपादान कारण है , परन्तु वैशेषिक दर्शन में समवायी असमवायी एवं निमित्त। ये तीन कारण माने गए हैं , जो इस प्रकार हैं समवायी कारण     समवायी सम्बन्ध नित्य सम्बन्ध होता है . जो दो ऐसे पदार्थो