योग दर्शन में चित्तवृत्तियाँ
भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer योग दर्शन में चित्तवृत्तियाँ योग दर्शन में चित्तवृत्तियाँ जब चित्त इन्द्रियों द्वारा बाह्य विषयों के सम्पर्क में आता है , तब वह विषय का आकार ग्रहण कर लेता है , तो इस आकार को ही वृत्ति कहते हैं। जब पुरुष के चैतन्य के प्रकाश से चित्तवृत्ति प्रकाशित होती है , तब जीव को विषय का ज्ञान हो जाता है। योग दर्शन में चित्तवृत्तियों के पाँच प्रकार बताए गए हैं - प्रमाण इस वृत्ति के द्वारा यथार्थ ज्ञान प्राप्त होता है। विपर्यय इस वृत्ति के द्वारा मिथ्या ज्ञान प्राप्त होता है। विकल्प इस वृत्ति के द्वारा काल्पनिक ज्ञान प्राप्त होता है। निद्रा यह एक मानसिक वृत्ति है , जिसके द्वारा जीव को यह ज्ञान होता है कि उसे निद्रा आई। स्मृति इस वृत्ति के द्वारा पूर्व में अनुभव किए गए विषयों का संस्कारजन्य ज्ञान प्राप्त होता है। योग मतानुसार चित्त की ये सभी पाँचों वृत्तियाँ जीव को सुख , दुःख तथा मोह आदि का अनुभव कराती