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चार्वाकों द्वारा कार्य-कारण नियम की अस्वीकृति

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer चार्वाकों द्वारा कार्य-कारण नियम की अस्वीकृति चार्वाकों द्वारा कार्य-कारण नियम की अस्वीकृति       कार्य - कारण नियम को चार्वाक अस्वीकार करता है। चार्वाक कहता है कि धुएँ एवं अग्नि की व्याप्ति कारण - कार्य सम्बन्धानुसार स्थिर नहीं की जा सकती , क्योंकि कारण - कार्य भी एक प्रकार की व्याप्ति है। चार्वाक कहता है कि दो  वस्तुओं में हम कई बार साथ - साथ साहचर्य सम्बन्ध देखकर कार्य - कारण सम्बन्ध स्थापित कर लेते हैं , परन्तु यह अनिवार्य सत्य नहीं है , क्योंकि भविष्य में भी ऐसा हो जरूरी नहीं है। कई बार साथ - साथ देखकर हम सम्बन्ध का अनुमान कर लेते हैं। इस प्रकार दोष की सम्भावना रह जाती है। चार्वाकों को कारण - कार्य नियम स्वीकार नहीं है। चार्वाकों का मानना है कि कारण - कार्य आकस्मिक घटना है। उनकी मान्यता है कि किसी भी कार्य की उत्पत्ति के सभी समय सभी उपाधियों का प्रत्यक्ष दर्शन असम्भव है , इसलिए उसके बगैर कार्य - कारण नहीं हो सकता। औषधि सेवन से कोई बीमारी सही ह