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राज्य का समाजवाद ( State Socialism )

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राज्य का समाजवाद ( State Socialism )  राज्य का समाजवाद ( State Socialism )        राजकीय समाजवाद का दर्शन सर्वप्रथम फर्डीनेण्ड लैस्ले द्वारा दिया गया। यह विचार कार्ल-मार्क्स के विचारों के विपरीत था। लैस्ले ने राज्य को वर्ग निष्ठा से स्वतन्त्र और न्याय के साधन के रूप में एक इकाई माना है, जो समाजवाद की उपलब्धि के लिए आवश्यक है। भारत में समाजवाद सामाजिक लोकतन्त्र के रूप में सथापित किया गया। अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक ‘स्टेट एण्ड माइनोरिटिस’ (राज्य और अल्पसंख्यक, 1947) में कहा है कि “संसदीय लोकतन्त्र के साथ संवैधानिक राज्य समाजवाद के रूप में भारत के लिए एक राजनीतिक और आर्थिक संरचना को प्रस्तावित किया गया है”। अम्बेडकर का मानना था कि संविधानिक कानूनों के द्वारा तीन उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है – समाजवाद की स्थापना संसदीय लोकतन्त्र की स्वतंत्रता तानाशाही से बचना । राज्य समाजवाद पर अम्बेडकर के विचार राज्य समाजवाद समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोणों में से एक है । यह पूँजीवाद और समाजवाद में अंतर्निहित समस्याओं के समाधान के रूप में कार्य कर सकता है । अम्बेडकर