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चार्वाक दर्शन में आत्मा का स्वरूप

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer चार्वाक दर्शन में आत्मा का स्वरूप चार्वाक दर्शन में आत्मा का स्वरूप      चार्वाक शरीर से पृथक् भिन्न , नित्य , स्वतन्त्र अमर आत्मा के अस्तित्व का खण्डन करते हैं , क्योंकि उसका प्रत्यक्ष नहीं होता है। उल्लेखनीय है कि चार्वाक दर्शन में आत्मा का निषेध नहीं हुआ है , बल्कि आत्मा के अभौतिक स्वरूप एवं उसके दिव्य गुणों का ही निषेध किया गया है। चार्वाक एवं बौद्ध दर्शन के अतिरिक्त अन्यान्य भारतीय दर्शनों में चेतना को नित्य आत्मा का स्वरूप धर्म या आगन्तुक धर्म माना गया है , परन्तु चार्वाक के अनुसार प्रत्यक्ष से आत्मा नामक किसी अभौतिक तत्त्व का ज्ञान नहीं होता , जिसका स्वरूप चेतन हो।     चार्वाक दर्शन के अनुसार , चेतना शरीर का गुण है। चार्वाक चेतना को शरीर के आगन्तुक गुण के रूप में स्वीकार करते हैं , क्योंकि इनकी मान्यता है कि जब चार प्रकार के जड़ तत्त्व - पृथ्वी , अग्नि , जल , वायु एक निश्चित मात्रा में तथा  निश्चित अनुपात में परस्पर संयुक्त हो जाते हैं , त