मीमांसा दर्शन का शक्तिवाद सिद्धान्त
भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer मीमांसा दर्शन का शक्तिवाद सिद्धान्त मीमांसा दर्शन का शक्तिवाद सिद्धान्त शक्तिवाद मीमांसा दर्शन में शक्तिवाद सिद्धान्त का काफी महत्त्वपूर्ण स्थान है। वस्तुतः कार्य - कारण के सम्बन्ध में मीमांसा का नवीन दृष्टिकोण है। मीमांसा दर्शन के अनुसार , संसार के सभी पदार्थों की उत्पत्ति के रूप में एक अदृष्ट शक्ति है , जोकि अतीन्द्रिय होने के कारण अनुभवगम्य है। यह अदृष्ट शक्ति कारण रूप है। जितने भी कार्यरूप जागतिक पदार्थ हैं उनके मूल में यह कारण रूप अदृष्टशक्ति विद्यमान रहती है। इस शक्ति के नष्ट हो जाने पर कार्य की उत्पत्ति भी बन्द हो जाती है। बीज में एक अदृष्ट शक्ति है जिससे उसमें अंकुर उगता है , किन्तु उस अदृश्य शक्ति के नष्ट हो जाने पर अंकुर नहीं उग सकता। कारण रूप इस अदृष्ट शक्ति के बिना कार्यरूप पदार्थ की उत्पत्ति सम्भव ही नहीं है। संसार के सभी बाह्य पदार्थ इस अदृष्ट शक्ति के कारण सत्तावान हैं। अग्नि में दाहकता शक्ति , शब्द में अर्थबोध शक्ति और प्रकाश