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चार्वाक के द्वारा शब्द की समीक्षा

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer चार्वाक के द्वारा शब्द की समीक्षा चार्वाक के द्वारा शब्द की समीक्षा      भारतीय दर्शन में चार्वाक , बौद्ध एवं वैशेषिक को छोड़कर शेष अन्य सभी दार्शनिक सम्प्रदायों में यथार्थ ज्ञान के साधन के रूप में शब्द प्रमाण की महत्ता को स्वीकार किया गया है। शब्दों एवं वाक्यों से प्राप्त ज्ञान शब्द प्रमाण के अन्तर्गत आते हैं , परन्तु सभी प्रकार के शब्द और वाक्य प्रमाण की कोटि में नहीं आते। आप्त पुरुष के वचन ही शब्द प्रमाण की कोटि में आते हैं। आप्त व्यक्ति का वचन ही शब्द है।       चार्वाक का मत है कि शब्द प्रमाण से भी व्याप्ति सम्भव नहीं है , क्योंकि कोई भी पुरुष आप्त पुरुष नहीं है। शब्द भी अनुमान की भाँति संदिग्ध होते हैं। चार्वाक के अनुसार , शब्दों पर आधारित ज्ञान दो प्रत्यक्षों का ही परिणाम होता है। आप्त पुरुष का वचन श्रवण से श्रुत होने के कारण प्रत्यक्ष का विषय है। अत : उसके लिए शब्द प्रमाण की आवश्यकता ही नहीं है।       चार्वाक कहते हैं कि आप्त पुरुष हमें अप