अम्बेडकर का जाति उच्छेदन विचार

अम्बेडकर का जाति उच्छेदन विचार 

अम्बेडकर का जाति उच्छेदन विचार 

    आंबेडकर के विख्यात भाषण एनीहिलेशन ऑफ कास्ट ( 1936 ) के ललई सिंह यादव द्वारा कृत हिंदी-रूपांतर “जाति-भेद का उच्छेद” के दो प्रकरणों इस विषय पर है । यह भाषण जाति-पाँति तोड़क मंडल ( लाहौर ) के वार्षिक सम्मेलन ( सन् 1936 ) के अध्यक्षीय भाषण के रूप में तैयार किया गया था, परंतु इसकी क्रांतिकारी दृष्टि से आयोजकों की पूर्णतः सहमति न बन सकने के कारण सम्मेलन ही स्थगित हो गया और यह पढ़ा न जा सका । बाद में, आंबेडकर ने इसे स्वतंत्र पुस्तिका के रूप में प्रकाशित कर वितरित किया, जो पर्याप्त लोकप्रिय हुई । उनके अनुसार समानता, स्वतंत्रता व बंधुता - ये तीन तत्त्व आदर्श समाज में अनिवार्यतः होने चाहिए, जिससे लोकतंत्र सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया के अर्थ तक भी पहुँचे।

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