Friday, May 13, 2022

कर्म के नियम ( Law of Karma )

कर्म के नियम ( Law of Karma ) 

कर्म के नियम ( Law of Karma ) 

    भारतीय दर्शन में कर्म को अवैयक्तिक नियम माना जाता है। जिसे किसी भी व्यक्ति के द्वारा स्वतंत्रता से किया जा सकता है। भारतीय दर्शनों में मनुष्य को कर्म की स्वतंत्रता प्रदान की है परन्तु कर्म का फल ईश्वराधीन बतलाया है। भारतीय दर्शन में मनुष्य द्वारा किए गए प्रत्येक कर्म का फल निर्धारित होता है जो उसे अवश्य भोगना पड़ता है। कर्म सिद्धान्त को लेकर भारतीय दर्शनों में मान्यता है कि, ‘जैसा हम बोते है, वैसा ही काटते है’। इसी आधार पर भारतीय दर्शनों में पुनर्जन्म की अवधारणा विकसित होती है।

-------

No comments:

Post a Comment

विश्व के लोगों को चार्वाक दर्शन का ज्ञान क्यों जरूरी है ?

विश्व के लोगों को चार्वाक दर्शन का ज्ञान क्यों जरूरी है ? चार्वाक दर्शन की एक बहुत प्रसिद्ध लोकोक्ति है – “यावज्जजीवेत सुखं जीवेत ऋणं कृत्...