वैशेषिक दर्शन में विशेष की अवधारणा
भारतीय दर्शन |
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वैशेषिक दर्शन में विशेष की अवधारणा |
वैशेषिक दर्शन में विशेष की अवधारणा
एक ही प्रकार के दो परमाणुओं का विभेदक 'विशेष' कहलाता
है;
जैसे-पृथ्वी
के दो परमाणु जिनका गुण तो गन्ध ही है किन्तु दोनों एक-दूसरे
से पृथक् हैं, क्योंकि दोनों का अपना-अपना विशेष है।
अत:
विशेष
वह पदार्थ है जो एक ही प्रकार के दो नित्य द्रव्यों का विभेदक है।
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