Saturday, October 2, 2021

वैशेषिक दर्शन में विशेष की अवधारणा

भारतीय दर्शन

Home Page

Syllabus

Question Bank

Test Series

About the Writer

वैशेषिक दर्शन में विशेष की अवधारणा 

वैशेषिक दर्शन में विशेष की अवधारणा 

    एक ही प्रकार के दो परमाणुओं का विभेदक 'विशेष' कहलाता है; जैसे-पृथ्वी के दो परमाणु जिनका गुण तो गन्ध ही है किन्तु दोनों एक-दूसरे से पृथक् हैं, क्योंकि दोनों का अपना-अपना विशेष है। अत: विशेष वह पदार्थ है जो एक ही प्रकार के दो नित्य द्रव्यों का विभेदक है।

----------


No comments:

Post a Comment

विश्व के लोगों को चार्वाक दर्शन का ज्ञान क्यों जरूरी है ?

विश्व के लोगों को चार्वाक दर्शन का ज्ञान क्यों जरूरी है ? चार्वाक दर्शन की एक बहुत प्रसिद्ध लोकोक्ति है – “यावज्जजीवेत सुखं जीवेत ऋणं कृत्...