न्याय दर्शन का अन्यथाख्यातिवाद
भारतीय दर्शन |
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न्याय दर्शन का अन्यथाख्यातिवाद |
न्याय दर्शन का अन्यथाख्यातिवाद
अन्यथाख्यातिवाद
भ्रम के इस सिद्धान्त का प्रतिपादन नैयायिकों द्वारा किया गया था। नैयायिकों के अनुसार समस्त ज्ञान यथार्थ है। नैयायिकों के अनुसार भ्रम का विषय वास्तविक है, किन्तु वह वहाँ नहीं है, जहाँ अनुभूत हो रहा है। अतः भ्रम का विषय साँप यहाँ नहीं अन्यथा है। नैयायिक इस भ्रम का कारण स्मृति को मानते हैं।
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