इकबाल का आत्मा विचार

इकबाल का आत्मा विचार 

इकबाल का आत्मा विचार 

    इकबाल का आत्म विचार प्रसिद्ध सूफी उक्ति ‘अनलहक’ अर्थात मैं ही सृजनात्मक सत्य हूँ, से प्रेरित है। इकबाल आत्मा के लिए ‘Self’ शब्द का प्रयोग करते है। इकबाल Self शब्द से Ego अर्थात शरीरधारी अहं से आत्मा को भिन्न करते है। वे कहते है कि ‘आत्मा (Self) शरीर (Ego) से भिन्न कुछ है’। इसी कारण आत्मा से शरीर से भिन्न कुछ का बोध होता है। इकबाल यह स्वीकारते है कि आत्मा सभी मानवीय क्रियाओं को संगठित रखने का आन्तरिक रूप है, परन्तु वे यह नहीं मानते कि आत्मा शरीर से सर्वथा भिन्न है। उनके अनुसार आत्मा शरीरिक क्रियाओं को संगठित रखने का आधार है। इकबाल का कहना है कि अहंरूप आत्मा की वास्तविकता को समझने के लिए एक सूझ की आवश्यकता है। 

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