गाँधी का सत्य विचार

गाँधी का सत्य विचार 

गाँधी का सत्य विचार 

   गाँधीजी के अनुसार, "सत्य आध्यात्मिक सिद्धान्त है और इसका प्रयोग आध्यात्मिक तथा व्यावहारिक दोनों हो सकता है।इसी के साथ ही गाँधीजी ने शिक्षा (ज्ञान) को सत्य का तार्किक आधार बताया है। इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा है कि– "शिक्षा का अर्थ व्यक्ति के शरीर, मन, आत्मा में जो शुभत्व है, उसे प्रकट करने का प्रयत्न किया है।" गाँधीजी ने सत्य की जटिल अवधारणा की तुलना में सत्य के सरलतम भाव को अपनाया तथा 'सत्य' एवं 'सत्' के भेद को समाप्त कर दिया, क्योंकि 'सत्य' शब्द को वे सत् शब्द से ही निकला हुआ मानते थे। इस प्रकार गाँधीजी के अनुसार, सत्य मात्र वैचारिक कोटि नहीं है, मात्र यह निर्णयों पर लगने वाला भाव नहीं है, यह वास्तविकता एवं सत् है। अतः ईश्वर सत्य है और सत्य ईश्वर है।  

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