डी डी उपाध्याय का अद्वैत वेदान्त विचार
डी डी उपाध्याय का अद्वैत वेदान्त विचार |
डी डी उपाध्याय का अद्वैत वेदान्त विचार
उपाध्याय जी का मत था कि समग्र मानवतावाद ने आदि गुरु
शंकराचार्य द्वारा विकसित अद्वैत परम्परा का पालन किया है । गैर-द्वैतवाद
ब्रह्माण्ड में प्रत्येक वस्तु एकीकृत के सिद्धान्त का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका
एक मुख्य भाग मानव जाति भी है । समग्र मानवतावाद गाँधी के भावी भारत के दृष्टिकोण
का स्पष्ट उदाहरण है । उपाध्याय एवं गाँधीजी दोनों समाजवाद और पूँजीवाद के
भौतिकवाद को समान रूप से अस्वीकार करते हैं । दोनों एकांकी वर्ग-धर्म आधारित
समुदाय के पक्ष में आधुनिक समाज के व्यक्तिवाद को अस्वीकार करते हैं तथा दोनों ही
राजनीति में धार्मिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों के
उल्लंघन का विरोध करते हैं । दोनों ही हिन्दू मूल्यों को संरक्षित करने वाले
सांस्कृतिक एवं आधुनिकीकरण की प्रमाणित विधि चाहते हैं । समग्र मानवतावाद में
राजनीति और स्वदेशी, इन दो विषयों के आस-पास दर्शन आयोजित है
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