कौटिल्य ( Chanakya ) की कल्याण एवं विदेश नीति
कौटिल्य ( Chanakya ) की कल्याण एवं विदेश नीति |
कौटिल्य ( Chanakya ) की कल्याण एवं विदेश नीति
कौटिल्य की विदेशनीति को ‘मण्डल सिद्धान्त’ के नाम से जाना
जाता है। यह सिद्धान्त राम-राज्य के समय प्रचलित दिग्विजय सिद्धान्त का ही
परिवर्तित रूप है। मण्डल का तात्पर्य राज्यों का वृत्त (Circle of Kingdom) से है। इस सिद्धान्त की रचना आर्यवर्त के अनेक राज्यों को ध्यान में रखकर
की गई थी। इस मण्डल सिद्धान्त का सार है –‘दुश्मन का दुश्मन मित्र होता है’।
कौटिल्य के मण्डल में कुल 12 राज्य थे। इन 12 राज्यों की अपनी अलग अलग स्थिति और
पहचान तथा वैदेशिक नीति है। इस नीति का वर्णन अर्थशास्त्र के सप्तम अधिकरण में
मिलता है जिसके छः भाग है। इन भागों को कौटिल्य की षड्गुण्य नीति के नाम से जाना
जाता है। ये छः अंग है – संधि, विग्रह, आसन, यान, संश्रय और दैधीभाव।
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