पंचव्रत ( Panchavrat ) की अवधारणा

पंचव्रत ( Panchavrat ) की अवधारणा 

पंचव्रत ( Panchavrat ) की अवधारणा 

    जैन दर्शन में मोक्ष प्राप्ति के तीन सम्यक् दर्शन, सम्यक ज्ञान और समाज चरित्र अपरिहार्य साधन माने गये हैं। सम्यक् चरित्र, सम्यक ज्ञान को कर्म में परिणत करना है । यह 'पंचव्रतों' द्वारा ही सम्भव है। ये पंचव्रत - 

  1. अहिंसा
  2. सत्य
  3. अस्तेय
  4. ब्रह्मचर्य  
  5. अपरिग्रह 

---------

Comments

Popular posts from this blog

वेदों का सामान्य परिचय General Introduction to the Vedas

वैदिक एवं उपनिषदिक विश्व दृष्टि

मीमांसा दर्शन में अभाव और अनुपलब्धि प्रमाण की अवधारणा