चार्वाक द्वारा अनुमान एवं शब्द की समीक्षा

 

चार्वाक द्वारा अनुमान एवं शब्द की समीक्षा

चार्वाक द्वारा अनुमान एवं शब्द की समीक्षा

चार्वाक द्वारा अनुमान एवं शब्द की समीक्षा

    चार्वाक दर्शन में अनुमान और शब्द प्रमाण की आलोचना की गई है। इसका कारण व्याप्ति के आधार पर यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति नहीं होना है। जब हम धुआँ देखकर आग का अनुमान करते है तो धुएं के साथ आग का ज्ञान हो जाना व्याप्ति सम्बन्ध कहलाता है। चार्वाकों के अनुसार यह व्याप्ति सम्बन्ध से प्राप्त ज्ञान कभी भी सन्देह से परे नहीं होता। चार्वाक दर्शन में इसी व्याप्ति सम्बन्ध को आलोचना निम्नलिखित तर्कों से की गई है-

  • चार्वाक कहते है कि हम कभी भी व्याप्ति सम्बन्ध का प्रत्यक्ष नहीं कर सकते। धुएं और आग में सर्वत्र ही व्याप्ति सम्बन्ध है यह हम सर्वत्र बिना देखे नहीं कह सकते। इसके साथ-साथ व्याप्ति सम्बन्ध सर्वकाल में भी सिद्ध नहीं किया जा सकता। भूत और भविष्य के धुएं और आग के मध्य व्याप्ति सम्बन्ध को हम वर्तमान काल में सिद्ध नहीं कर सकते।
  • अनुमान प्रमाण की सिद्धि के दो मुख्य आधार है – पहला वस्तुओं का स्वभाव समान होता है और दूसरा जगत में कार्य-कारण सम्बन्ध होता है। चार्वाक इन दोनों आधारों पर तर्क देते है कि वस्तुओं का स्वभाव और कार्य-कारण सम्बन्ध पर आधारित सभी सामान्य वाक्य अनुमान के आधार पर ही स्थापित किए जाते है। इस प्रकार एक सामान्य वाक्य को दूसरे सामान्य वाक्य से सथापित करना दोषयुक्त होता है जिसे तर्कशास्त्र में चक्रक दोष या पुनरावृत्ति दोष कहते है। इस प्रकार चार्वाक दर्शन स्वभाववाद और कार्य-कारण पर आधारित सामान्य का अस्तित्व स्वीकार नहीं करता।

    अनुमान के साथ-साथ चार्वाक दर्शन में शब्द प्रमाण की भी आलोचना की गई है। चार्वाक कहते है कि शब्द प्रमाण आप्त वचनों या आप्त पुरुष के वाक्यों पर आधारित होता है। आप्त वचनों में आर्ष ग्रंथों और वेदों को रखा जाता है जिसकी आलोचना चार्वाक यह कहकर कर देते है कि वेदों और अन्य ग्रंथों की रचना पण्डितों ने धन अर्जन के लिए और स्वयं को लाभ पहुँचने के लिए की है। दूसरी और आप्त पुरुष के द्वारा कहे गए कथन भी अनुमान की श्रेणी में नहीं आते क्योंकि आप्त पुरुष अर्थात विश्वशनीय व्यक्ति अगर किसी बात को कहता है तो वह उसका प्रत्यक्ष कर ही कहता है। अतः यह अपरोक्ष रूप से प्रत्यक्ष ज्ञान ही हुआ।

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