पूर्ण क्रान्तिवाद ( Total Revolutionism )

पूर्ण क्रान्तिवाद  ( Total Revolutionism )

पूर्ण क्रान्तिवाद  ( Total Revolutionism )

    पूर्ण क्रांतिवाद का अर्थ है – ‘वह क्रांति जो व्यक्त और समुदाय के समस्त विकास पर बल देती हो पूर्ण क्रांति कहलाती है’। भारत में पूर्ण क्रांतिवाद का उदय ज्योतिबा फुले राव की राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक समानता के साथ सत्यशोधक आन्दोलन के द्वारा होता है। इनके बाद जयप्रकाश नारायण ने 20वीं शताब्दी के उतरार्द्ध में पूर्ण क्रांति की अवधारणा को व्यापक रूप दिया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अनुसार, ‘सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है’। जयप्रकाश नारायण ने स्वयं कहा था कि मेरी पूर्ण क्रांति सात क्रांतियों का एक संयोजन है। अर्थात मेरा उद्देश्य राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांकृतिक, बौद्धिक, शैक्षिक, आध्यात्मिक और सर्वोदय के आदर्शों के अनुरूप समाज में बदलाव लाना है’।

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