भारतीय दर्शन |
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भ्रम के घटक |
भ्रम के घटक
शंकराचार्य भ्रम के तीन घटक बताते हैं-
- अधिष्ठान,
- अध्यस्त
और
- अध्यास
रज्जु-सर्प में इनकी
स्थिति इस प्रकार है
• अधिष्ठान अर्थात् रस्सी, जो सत् है।
• अध्यस्त अर्थात् साँप, जो असत् है।
• अध्यास अर्थात् रस्सी पर साँप का मिथ्यारोप यह न सत् है और न असत्
यह अनिर्वचनीय है
यहाँ उल्लेखनीय है कि शंकर भ्रम को सद्सत् अर्थात् सत् और असत् दोनों
एकसाथ नहीं कहते हैं, क्योंकि ये दोनों प्रकाश और अन्धकार के समान एकसाथ नहीं रह सकते।
इसे केवल अनिर्वचनीय ही कहा जा सकता है।
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