न्याय दर्शन का उपमान प्रमाण
भारतीय दर्शन |
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न्याय दर्शन का उपमान प्रमाण |
न्याय दर्शन का उपमान प्रमाण
सादृश्यता के प्रत्यक्ष से नाम (संज्ञा) और नामी (संज्ञी) के सम्बन्ध
का ज्ञान कराने वाले प्रमाण को उपमान कहते हैं। उदाहरणार्थ-हमें
नाम का ज्ञान हो गया या तो कहीं पढ़ने से या सुनने से। माना हमें नीलगाय का ज्ञान हो
गया कि नीलगाय वह पशु है जो गाय जैसी होती है, किन्तु
अभी हमें नीलगाय का प्रत्यक्ष रूप में ज्ञान नहीं है कि वह कैसी होती है। हमने अभी
सिर्फ उसके बारे में सुन रखा है कि वह गाय जैसी होती है। हम जंगल में गए वहाँ हमें
गाय की तरह एक पशु दिखाई दिया और हमें ज्ञान हो गया कि यह नीलगाय है अर्थात् अब हमें
नाम और नामी का ज्ञान हो गया। यह ज्ञान कैसे हुआ? हमने
नीलगाय और गाय में सादृश्यता या समानता का प्रत्यक्ष किया फलतः हमें ज्ञात हो गया कि
वह गाय की तरह दिखने वाला पशु नीलगाय है।
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