संवैधानिक नैतिकता ( Moral Constitution )

संवैधानिक नैतिकता ( Moral Constitution ) 

संवैधानिक नैतिकता ( Moral Constitution ) 

    संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों का पालन करना संवैधानिक नैतिकता कहलाती है। संवैधानिक नैतिकता की यह अपेक्षा होती है कि संविधान के प्रति आस्था एवं अधिकार के प्रति आज्ञाकारिता हो। इस शब्दावली का सर्वप्रथम प्रयोग डॉ. अम्बेडकर ने संसद में किया था। उन्होंने इस शब्दावली का प्रयोग ऐसे प्रशासनिक सहयोग के लिए किया था, जिसके द्वारा परस्पर संघर्षों एवं टकराव वाले वर्गों के बीच सौहार्द्र पूर्ण, समन्वय की स्थापना की जा सके। संवैधानिक नैतिकता द्वारा शासित होने का अर्थ है, संविधान प्रदत्त सारभूत नैतिकताओं द्वारा शासित होना इस प्रकार संवैधानिक नैतिकता को संविधान की नैतिकता के रूप में देखा जा सकता है।

Ø  संवैधानिक नैतिकता का अनुरक्षण : - संवैधानिक नैतिकता का अनुरक्षण निम्न प्रकार से किया जा सकता है-

  1. न्यायालय स्तर पर इसका दुरुपयोग रोकने के लिए इसकी रूपरेखा का निर्धारण करके।
  2. संवैधानिक मूल्यों यथा संवैधानिक सर्वोच्चता, विधि के शासन तथा संसदीय व्यवस्था के प्रति निष्ठा रखकर।
  3. संवैधानिक आदर्शों का पालन करते हुए संविधान के दायरे में रहकर कार्य करना।

Ø  संवैधानिक नैतिकता के घटक - संवैधानिक नैतिकता के प्रमुख तीन घटक है – स्वतंत्रता, आत्मसंयम और बहुभाषीय एवं बहुसांस्कृतिक पहचान की मान्यता।

Ø  संवैधानिक नैतिकता की विशेषताएं - संवैधानिक नैतिकता की प्रमुख 5 विशेषताएं है – लोकतान्त्रिक आत्मा, सामूहिक इच्छाशक्ति, शक्ति का विकेन्द्रीकरण, संघीय सहयोग और संघीय संतुलन।

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