योग-क्षेम ( Yog-Kshem )

योग-क्षेम ( Yog-Kshem )

योग-क्षेम ( Yog-Kshem )

    योग-क्षेम दो शब्दों से मिलकर बना है – योग और क्षेम। शंकराचार्य ने योग का अर्थ ‘अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति के लिए संघर्ष’ तथा क्षेम से तात्पर्य ‘प्राप्त वस्तु के रक्षण’ से किया है। गीता में श्री कृष्ण कहते है –

अनन्याश्चितयन्तों मां ये जनाः पर्युपासते ।

तेषा नित्याभियुक्तानां योगक्षेम वहाम्यहं ।।

अर्थात जब भी कोई व्यक्ति पवित्र उद्देश्य से कोई भी कार्य अपनी सम्पूर्ण सामर्थ्य, प्रयत्न और आत्मसंयम से करता है तो उसे योग और क्षेम की कोई चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह दायित्व स्वयं प्रभु अपनी इच्छा से निभाया करते है।  

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