जैन दर्शन में सत् की अवधारणा / Concept of Sat in Jain Philosophy
जैन दर्शन में सत् की अवधारणा / Concept of Sat in Jain Philosophy
जैन दर्शन में सत् की अवधारणा / Concept of Sat in Jain Philosophy
जैन दर्शन के अनुसार सत् वस्तु में ध्रौव्य यानि नित्यता तथा
उत्पाद और व्यव यानि अनित्यता ये तीन धर्म होते है – “उत्पादव्ययध्रौव्यसंयुक्तम
सत्”।
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