वेदों का सामान्य परिचय General Introduction to the Vedas
वेदों का सामान्य परिचय General Introduction to the Vedas |
वेदों का सामान्य परिचय General Introduction to the Vedas
भारतीय दर्शन का प्राचीनतम एवं आरम्भिक अंग वैदिककाल को माना जाता है। वैदिक काल में वेद तथा उपनिषदों जैसे महत्वपूर्ण दर्शनों का व्यापक विकास हुआ। भारत का सम्पूर्ण दर्शन, वेद एवं उपनिषद की विचारधाराओं से प्रभावित हुआ है। वेद प्राचीनतम मनुष्य के दार्शनिक विचारों का मानव भाषा में प्रथम वर्णन है।
वेदों को ईश्वर की वाणी कहा जाता है, इसलिए वेदों को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शनों ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है। वेद का अर्थ है- “ज्ञान”
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
ऋग्वेद
ऋग्वेद सबसे प्राचीनतम वेद है। यह ऋचाओं का वेद है। ऋचा से तात्पर्य “स्तुति” से होता है। यह ग्रन्थ विज्ञानों का विज्ञान कहलाता है। ऋग्वेद में विभिन्न देवताओं की स्तुति में गाए गए मन्त्रों का संग्रह है। ऋग्वेद में 10 मण्डल, 1028 सूक्त तथा 10462 मन्त्र है। ऋग्वेद का पहला और दसवां मण्डल क्षेपक माना जाता है। मन्त्रों को ऋचा अथवा श्रुति भी कहते है। ऋग्वेद के मन्त्रों का विधिपूर्वक उच्चारण करने वाले को “होता” कहते है।
ऋग्वेद में तीन पाठ मिलते है-- साकल
- बालखिल्य
- वाष्कल
यजुर्वेद
यजर्वेद में अनुष्ठानों तथा कर्मकाण्डों में प्रयुक्त होने वाले मन्त्रों का संग्रह है। यजुर्वेद के मन्त्रों का विधिवत गान करने वाले पुरोहित को “अध्वर्यू” कहा जाता है। इसमें यज्ञ बलि सम्बन्धी मन्त्रों का भी उल्लेख है। यजुर्वेद गद्य एवं पद्य दोनों में लिखा है। इस ग्रन्थ के दो मुख्य भाग है- कृष्ण यजर्वेद एवं शुक्ल यजुर्वेद। शुक्ल यजुर्वेद को वाजसनेयी संहिता भी कहा जाता है। यजुर्वेद का अन्तिम अध्याय “ईशोंपनिषद” कहलाता है, जो कि अध्यात्म चिन्तन का उपनिषद है। शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मण ग्रन्थ ‘शतपथ’ तथा कृष्ण यजुर्वेद का ब्राह्मण ‘तैत्तिरीय’ है।
सामवेद
सामवेद में देवताओं की स्तुति में गए जाने वाले मन्त्रों का संग्रह है। यह वेद संगीत से सम्बन्धित है, इसलिए इस वेद को भारतीय संगीत का जनक भी कहा जाता है। सामवेद का उपवेद ‘गन्धर्ववेद’ है। सामवेद के ब्राह्मण है- पंचविश, षड्विश, जैमिनीय तथा छान्दोग्य। सामवेद के मन्त्रों का विधिवत गान करने वाला पुरोहित “उद्गाता” कहलाता है।
अथर्ववेद
अथर्ववेद में जादू-टोना, मन्त्र-तन्त्र आदि का संग्रह माना जाता है। विभिन्न प्रकार की औषधियों का ज्ञान भी इस ग्रन्थ में मिलता है। अथर्ववेद को ‘ब्रह्मवेद’ भी कहा जाता है, क्योंकि इस वेद में ब्रह्मचर्य की महिमा का वर्णन है। अथर्ववेद का उपवेद ‘शिल्पवेद’ है । अथर्ववेद का ब्राह्मण ‘गोपथ’ है। अथर्ववेद के उपनिषद- मुण्डक, प्रश्न तथा माण्डूक्य है।
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