मीमांसा दर्शन का अभिहितान्वयवाद

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मीमांसा दर्शन का अभिहितान्वयवाद

मीमांसा दर्शन का अभिहितान्वयवाद

अभिहितान्वयवाद

     यह विचारधारा भी मीमांसा दर्शन से ही सम्बद्ध है। इस विचारधारा के प्रतिपादक भट्ट सम्प्रदाय के कुमारिल हैं। जबकि प्रभाकर का गुरु सम्प्रदाय ने इसका समर्थन नहीं किया है। अभिहितान्वयवाद के अनुसार, अर्थ का ज्ञान शब्दों के ज्ञान के कारण होता है, परन्तु यह ज्ञान स्मरण या बोधग्रहण के कारण नहीं, बल्कि द्योतक के कारण होता है। शब्द, अर्थों को प्रकट करते हैं जो संयुक्त होने पर एक वाक्य का ज्ञान देते हैं। इस सिद्धान्त का यह भी मत है कि वेदवाक्य विधिवाक्य हैं। वेद हमें कर्म करने का या न करने का आदेश देते हैं।

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