Sunday, October 3, 2021

योग दर्शन में क्लेश की अवधारणा

भारतीय दर्शन

Home Page

Syllabus

Question Bank

Test Series

About the Writer

योग दर्शन में क्लेश की अवधारणा 

योग दर्शन में क्लेश की अवधारणा 

क्लेश

योग दर्शन में पाँच प्रकार के क्लेश बताए गए हैं, जो निम्न हैं-

  1. अविद्या यह क्लेश समस्त क्लेशों का मूल कारण है। इसी की वजह से हम अनित्य को नित्य, अपवित्र को पवित्र तथा दुःखदायी को सुखदायी मान लेते हैं।
  2. अस्मिता पुरुष और चित्त में अभेद्य मान लेना।
  3. राग सुखों को प्राप्त करने की चाह।
  4. द्वेष सुख में बाधक और दुःख को उत्पन्न करने वालों के प्रति क्रोध, हिंसा या घृणा का भाव।
  5. अभिनिवेश जीवन के प्रति आसक्ति तथा मृत्यु का भय।

    इन पाँचों को क्लेश इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन पाँचों के कारण जीव संसार चक्र में फँसा रहता है और दुःखों को भोगता है। जब तक योगाभ्यास, तप, वैराग्य, स्वाध्याय, ईश्वर शरणागति आदि के द्वारा क्लेशों का नाश नहीं होता, तब तक जीवों को विवेक का ज्ञान नहीं हो पाता है।

----------


No comments:

Post a Comment

विश्व के लोगों को चार्वाक दर्शन का ज्ञान क्यों जरूरी है ?

विश्व के लोगों को चार्वाक दर्शन का ज्ञान क्यों जरूरी है ? चार्वाक दर्शन की एक बहुत प्रसिद्ध लोकोक्ति है – “यावज्जजीवेत सुखं जीवेत ऋणं कृत्...