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Showing posts from August, 2019

उपनिषदों का परिचय Introduction to Upanishads

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer उपनिषदों का परिचय Introduction to Upanishads उपनिषदों का परिचय Introduction to Upanishads   उपनिषद दार्शनिक विचारों का प्राचीनतम संग्रह है, जिनमें शुद्धतम ज्ञानपक्ष पर बल दिया गया है। उपनिषदों को भारतीय दर्शन का स्रोत कहा जाता है। उपनिषदों की कुल संख्या 108 मानी गई है, किन्तु आचार्य शंकर ने केवल 10 उपनिषदों पर ही अपने भाष्य लिखे है, जो कि वर्तमान में लोकप्रिय है। निम्नलिखित श्लोक में दस उपनिषद बताएं गए है -  "ईश-केन-कठ-प्रश्न-मुंड-माण्डुक्य-तित्तिरिः  ऐतरेयञ्च छान्दोग्यं वृहदारण्यकन्तथा" ।।  अर्थात दस उपनिषद ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुंडक, माण्डुक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय, छान्दोग्य और वृहदारण्यक है। इस सूची में कौशितकी, मैत्री और श्वेताश्वेतर नाम जोड़ देने पर मुख्य उपनिषदों की संख्या तेरह हो जाती है। उपनिषद वैदिक साहित्य का अन्तिम भाग है, इसलिए इन्हें वेदान्त भी कहा जाता है। इन्हें आरण्यक भी कहा जाता है क्योंकि इनका मनन अरण्य अर्थात वन के एकांत

वेदों का सामान्य परिचय General Introduction to the Vedas

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वेदों का सामान्य परिचय General Introduction to the Vedas वेदों का सामान्य परिचय General Introduction to the Vedas भारतीय दर्शन का प्राचीनतम एवं आरम्भिक अंग वैदिककाल को माना जाता है। वैदिक काल में वेद तथा उपनिषदों जैसे महत्वपूर्ण दर्शनों का व्यापक विकास हुआ। भारत का सम्पूर्ण दर्शन, वेद एवं उपनिषद की विचारधाराओं से प्रभावित हुआ है। वेद प्राचीनतम मनुष्य के दार्शनिक विचारों का मानव भाषा में प्रथम वर्णन है। वेदों को ईश्वर की वाणी कहा जाता है, इसलिए वेदों को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शनों ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है। वेद का अर्थ है- “ज्ञान” भारतीय वैदिक विचारधारा के आधार पर वेद की संख्या चार है- ऋग्वेद  यजुर्वेद  सामवेद  अथर्ववेद  ऋग्वेद    ऋग्वेद सबसे प्राचीनतम वेद है। यह ऋचाओं का वेद है। ऋचा से तात्पर्य “स्तुति” से होता है। यह ग्रन्थ विज्ञानों का विज्ञान कहलाता है। ऋग्वेद में विभिन्न देवताओं की स्तुति में गाए गए मन्त्रों का संग्रह है। ऋग्वेद में 10 मण्डल, 1028 सूक्त तथा 10462 मन्त्र है। ऋग्वेद का पहला और दसवां मण्डल क्षेपक माना जाता है। मन्त्रों को ऋचा अथवा श्रुति भी कहत

वैदिक एवं उपनिषदिक विश्व दृष्टि

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भारतीय दर्शन Home Page Syllabus Question Bank Test Series About the Writer वैदिक एवं उपनिषदिक विश्व दृष्टि  वैदिक एवं उपनिषदिक विश्व दृष्टि  दार्शनिक विचारों के स्रोत के रूप में प्राचीनतम भारतीय ग्रन्थ वेद है, जिसके अन्तर्गत संहिता, ब्रह्मण, आरण्यक एवं उपनिषद सभी सम्मिलित है।  वेद के दो भाग है- मन्त्र एवं ब्रह्मण।  ब्रह्मण ग्रन्थों के भाग को आरण्यक और आरण्यक के अन्तिम भाग को उपनिषद कहा जाता है।  ब्रह्मणों में यज्ञ आदि के अनुष्ठान का और आरण्यक एवं उपनिषदों में आध्यात्म विद्या का वर्णन मिलता है।  वैदिक विश्व दृष्टि को चार चरणों में विभक्त किया गया है-  संहिता,  ब्रह्मण,  आरण्यक तथा  उपनिषद।  संहिता  शब्द की चार अवस्थाएं है-  परावाक्,  पश्यन्तीवाक्,  मध्यमावाक् और  वैखरीवाक्।  सबसे सूक्ष्म अवस्था परावाक् है, जिसका प्रत्यक्ष सम्भव नहीं है। उससे स्थूल अवस्था पश्यन्ती है, इस स्वरूप में शब्द की प्रथम अभिव्यक्ति होती है। वेद का प्रकाशन इसी अवस्था में ऋषियों के अंतःकरण में हुआ। इसलिए पश्यन्तीवाक् को वेद कहा जाता है। वेद वाक्यों की